अघर में बच्चों का भविष्य
पुनित कुमार
नमस्कार प्रिय दोस्तों, मुबारक हो आप सभी को क्योंकि हम 21वीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं। हमारे भारत ने इन 64 वर्षो में जितनी तरक्की की है, ये तो आप अच्छी तरह से जानते है। राज्यों-राज्यों में जगह-जगह आज हमें आघुनिकरण होता दिखाई देता है। कोई मेट्रो बना रहा है, तो कोई हमारे खिलाड़यों के लिए स्टेडियम, तो कोई दुनिया की सबसे ऊँची बिल्डिंग भारत के अंदर बनाने का सपना देख रहा हैं, तो कोई आम जनता के लिए सस्ती कारों का निर्माण कर चुका है। दोस्तों यह तो रही सिक्के के एक पहलू की बात, चलिए सिक्के के दूसरे पहलू को देखते हैं। कोई मँहगाई बढ़ाने में लगा हुआ है तो कोई पेट्रोल-डिजल के दाम, तो कोई खाने-पीने के समान को मँहगा कर रहा है तो कोई घुमने-फ़िरने के लिए परिवहन को, तो कोई शिक्षा में सुघार करके उसे आघुनिक बनाने में लगा हुआ है, जिससे हमारे देश के बच्चें आगे चलकर हमारे देश की बागड़ोर सम्भाल सकें। लेकिन क्या आपको वाकई यह लगता है कि हमारे देश की शिक्षा का स्तर इतना बड़ रहा है की हमारे देश के बच्चें अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें।
दोस्तों आज भी ज्यादातर सरकारी स्कूलों में पांचवी कक्षा के बाद ही अंग्रेजी विषय को पढ़ाया जाता है और शिक्षा का ज्यादातर अध्धयन हिन्दी माघ्यम के द्धारा से ही होता है, जिसकी वजह से वह बच्चा प्राईवेट स्कूलों के मुकाबले अंग्रेजी विषय में बहुत पिछे हो जाता है और वह उतनी अच्छी अंग्रेजी नहीं बोल पाता जितनी की एक प्राईवेट स्कूल का बच्चा बोलता है। और वह बच्चा अपनी इस कमी के कारण हर जगह अलग से पहचान में आने लगता है, चाहे वह स्कूल हो, कॉलेज हो या कोई नौकरी की जगह। इसलिए इन बच्चों को तरक्की की राह में एक ऊँचा मुकाम हासिल करने में बहुत समय लग जाता है। अब आप सोच रहें होंगे कि यह तो अच्छी बात है न कि सरकारी स्कूलों के बच्चों को अग्रेंजी माघ्यम में ज्यादा न पढ़ाकर राष्ट्र भाषा हिन्दी में ज्यादा जोर देकर पढ़ाया जाता है, लेकिन जनाब जब पूरे देश की रोटी अंग्रेजी माघ्यम के द्धारा चलने की कग़ार पर आ रही है तो इन बेचारों को भी तो अपना और अपने परिवार का पेट भरना है ना।


और ऐसे ही होता रहा तो हमारे देश का भविष्य जल्दी ही खत्म हो जाएगा और बाद में हम चाह कर भी कुछ नहीं कर पाएंगे। तो इसलिए दोस्तों दूसरों में गलतियाँ निकालने की वजह अब अपने में गलतियाँ ढूँढो और अब सोचने का नहीं कदम उठाने का वक्त आ गया है.........................प्रणाम
2/12/2011
11वीं सदी नहीं जी, 21वीं...
ReplyDeleteशेष चिंताएं सही है...
चिंतनीय विषय है .
ReplyDelete'मिलिए रेखाओं के अप्रतिम जादूगर से '
विचारणीय विषय है| धन्यवाद|
ReplyDelete"दूसरों में गलतियाँ निकालने की वजह अब अपने में गलतियाँ ढूँढो"
ReplyDeleteसमझ गया गुरुदेव, आगे से ऐसी गलती नहीं होगी...... धन्यवाद आपके सहयोग के लिए......
ReplyDeleteशुक्रिया।
ReplyDeleteविषय तो अच्छा है परन्तु प्रस्तुति संतोषजनक नहीं है
ReplyDeleteइस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी चिट्ठा जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteउत्तम प्रस्तुति...
ReplyDeleteहिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है, कामना है कि आप इस क्षेत्र में सर्वोच्च बुलन्दियों तक पहुंचें । आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके अपने ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या बढती जा सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको मेरे ब्लाग 'नजरिया' की लिंक नीचे दे रहा हूँ आप इसके आलेख "नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव" का अवलोकन करें और इसे फालो भी करें । आपको निश्चित रुप से अच्छे परिणाम मिलेंगे । शुभकामनाओं सहित...
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